Monday, April 27, 2009

अम्न का जो पैग़ाम सुनाने वाले हैं

अम्न का जो पैग़ाम सुनाने वाले हैं
गलियों गलियों आग लगाने वाले हैं

तुम ले जाओ नेज़ा खंजर और तलवार
हम मकतल में सर ले जाने वाले हैं

ज़ुल्म के काले बादल से डरना कैसा
ये मौसम तो आने जाने वाले हैं

बीमारों का अब तो खुदा ही हाफिज़ है
सारे मसीहा ज़हर पिलाने वाले हैं

जान बचाने वाले तो सब हैं लेकिन
अब कितने इमान बचाने वाले हैं

हम को उन वालियों की निसबत हासिल है
दश्त को जो गुल्ज़ार बनाने वाले हैं

भूखा रह के साइल को खैरात जो दे
हम भी माजिद उसी घराने वाले हैं

--माजिद दियोबंदी

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