Friday, April 3, 2009

तेरी हुस्न-परस्ती में अल्फाज़ कम पड़ रहे थे

तेरी हुस्न-परस्ती में अल्फाज़ कम पड़ रहे थे
फिर तेरी आंखों में जो देखा मैने गज़ल पढ़ दी
--अज्ञात

No comments:

Post a Comment