Sunday, April 5, 2009

इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नही

इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नही
दो गज़ ज़मीन भी चाहिये दो गज़ कफन के बाद
--कैफी आज़मी

1 comment:

  1. sach kahaa hai कैफी आज़मी ne
    khwaahisho ki koi seema nahi hoti...

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