Saturday, August 31, 2013

एहसास

दोस्तों आज मुझे आप सबको बताते हुए अति प्रसन्नता हो रही है
कि मेरी खुद की कविताओं को एक किताब का रूप मिल गया है

इस में मेरे दोस्त अनंत अगरवाल ने मेरी बहुत मदद की |

और आप को पढ़ना चाहें तो खरीद सकते हैं


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Tuesday, August 27, 2013

तुम्हारा क्या बिगाड़ा था....

तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ? जो तुमने तोड़ डाला है
ये टुकड़े मैं नहीं लूँगा...मुझे दिल बना कर दो

--अज्ञात

Wednesday, August 21, 2013

ये कोई ग़म था जो आँखों से बह गया

ये कोई ग़म था जो आँखों से बह गया
या तुम चल दिए फिर मुझसे दूर

--शिल्पा अग्रवाल

Sunday, August 18, 2013

मेरी मंजिल मेरी हद

मेरी मंज़िल, मेरी हद
बस तुमसे तुम तक
फ़क्र ये है के तुम मेरे हो
फ़िक्र ये के कब तक

--अज्ञात

Thursday, August 15, 2013

कोई रिश्ता जो न होता तो वो ख़फा क्यों होते

कोई रिश्ता जो न होता तो वो ख़फा क्यों होते
यह बेरुख़ी उनकी मोहब्बत ही का पता देती है

--अज्ञात

Wednesday, August 7, 2013

लोगों ने रोज़ कुछ नया माँगा खुदा से

लोगों ने रोज़ कुछ नया माँगा खुदा से
एक हम ही तेरे ख़याल से आगे नहीं गए
--अज्ञात

Saturday, August 3, 2013

लोगों को हसाने के वास्ते

लोगों को हसाने के वास्ते
ज़िन्दगी बिता दी उसने
कितना अजीब था वो शख्स,
खुद कभी मुस्कुराता न था

पता नहीं किसके लिए
गज़लें लिखता रहता था
पर अपनी गज़लें
किसी को सुनाता न था

--अज्ञात

Friday, August 2, 2013

कुछ तो मेरी आँखों को पढने का हुनर सीख

कुछ तो मेरी आँखों को पढने का हुनर सीख
हर बात मेरे यार बताने की नही होती

--अज्ञात