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Sunday, March 22, 2009

ये धुंआ कम हो, तो पहचान मुमकिन हो शायद

ये धुंआ कम हो, तो पहचान मुमकिन हो शायद
यूँ तो वो जलता हुआ अपना ही घर लगता है
--एजाज़ आज़र