मंजिलें क्या है रास्ता क्या है
हौसला हो तो फासला क्या है
वो सज़ा दे के दूर जा बैठा
किस से पूछूँ मेरी खता क्या है
-आलोक श्रीवास्तव
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Friday, April 30, 2010
मंजिलें क्या है रास्ता क्या है
Saturday, May 30, 2009
घर में झीने झीने रिश्ते मैने लाखों बार उधड़ते देखे
घर में झीने झीने रिश्ते मैने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा
--आलोक श्रीवास्तव
और इसी गज़ल का एक दूसरा शेर है,
बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़सीम हुईं तब,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से आई अम्मा
--आलोक श्रीवास्तव
Source : http://subeerin.blogspot.com/2009/05/blog-post_27.html
चुपके चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा
--आलोक श्रीवास्तव
और इसी गज़ल का एक दूसरा शेर है,
बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़सीम हुईं तब,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से आई अम्मा
--आलोक श्रीवास्तव
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