खेतों का हरापन मैं कहाँ देख रहा हूँ
मैं रेल के इंजन का धुआँ देख रहा हूँ
फुरसत है कहाँ आपके बागात में टहलूँ
मैं अपने उजड़ने का समाँ देख रहा हूँ
खंजर जो गवाही है मेरे कत्ल की, उस पर
अपनी ही उंगलियों के निशाँ देख रहा हूँ
सब आपकी आंखों से जहाँ देख रहे हैं
मैं आपकी आंखों में जहाँ देख रहा हूँ
वो सोच में बैठे हैं निशाना हो कहाँ पर
मैं टूटे हुए तीर कमाँ देख रहा हूँ
मालूम है तकरीर लिखा लाये हैं किस से
मैं उनका ज़रा तर्ज़-ए-बयाँ देख रहा हूँ
जो मैने खरीदा था कभी बेच कर खुद को
नीलामी में बिकता वो मकाँ देख रहा हूँ
तू ढूँढ रही होगी कहाँ मुझको क़यामत
मैं कब से तेरी राह यहाँ देख रहा हूँ
टोका जो उन्होंने कि कहो देख ली दुनिया
मैने भी कहा हस के की हाँ देख रहा हूँ
बूढ़ी हुई उम्मीद तो क्या फिर भी लड़ूँगा
मैं अपने इरादे को जवाँ देख रहा हूँ
जिस राह से जाना है नयी पीढ़ी को राही
उस राह में एक अन्धा कुआँ देख रहा हूँ
--बाल स्वरूप राही
बाल स्वरूप राही ki dhuaadaar lekhni..
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