ज़िन्दगी को सताना सीख लिया है मैने
दर्द में भी खिलखिलाना सीख लिया है मैने
डर मुझे अब तो नहीं लगता है अंधेरों से
रात में दिल जलाना सीख लिया है मैने
ज़िन्दगी में मेरी वो आने को राज़ी न थी
सपनों में ही उसे बुलाना सीख लिया है मैने
दिल की बातें जो बयान करती हैं निगाहें मेरी
अब नज़र को चुराना सीख लिया है मैने
साथ मझधार पर छोड़ा है मेरा लोगों ने
मौज पर घर बसाना सीख लिया है मैने
फलसफा कैसा ये किसमत का मेरी है कि
हसरतों को भी लुटाना सीख लिया है मैने
--अज्ञात
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