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Sunday, August 27, 2023
तुझमें ही कहीं रब रहता है
Tuesday, August 15, 2023
मैं लड़का था मुझे मुस्कुराना पड़ा
मेरे कुछ ख्वाबों को मुझे जलाना पड़ा, कुछ ख्वाहिशों को भीतर दबाना पड़ा, भरी थी आँखे मगर किसको फ़िकर थी, मैं लड़का था मुझे मुस्कुराना पड़ा --Unknown
Wednesday, November 9, 2022
Monday, October 31, 2022
नीयत-ए-शौक भर ना जाए कहीं
Tuesday, February 23, 2021
अब सबके बाद आते हो
Monday, June 15, 2020
तुझे मेरी ज़रूरत है, मुझे तेरी ज़रूरत है
Sunday, July 2, 2017
सफ़र जारी रखो
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो!
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो!!
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें!
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो!!
--अज्ञात
Wednesday, October 1, 2014
जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,
पर जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे
वो ऊंचाई किस काम की!!
--जावेद अख्तर
Thursday, May 29, 2014
वही रंजिशें रहीं वही हसरतें रहीं
वही रंजिशें रहीं वही हसरतें रहीं
न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई
बड़ी अजीब सी है ज़िन्दगी हमारी
न गुज़र सकी; न ख़त्म हुई
--अज्ञात
Tuesday, April 22, 2014
मतलब परस्ती या मासूमियत
मतलब परस्ती या मासूमियत
खुदा जाने !!!!
हमने कहा मोहब्बत है
कहने लगे .... क्या मतलब ??
--अज्ञात
Friday, April 11, 2014
किसी भी गम के सहारे नहीं गुज़रती है
किसी भी गम के सहारे नहीं गुज़रती है
ये ज़िन्दगी तो गुज़ारे नहीं गुज़रती है
मैं ज़िन्दगी तो कहीं भी गुज़ार सकता हूँ
मगर बगैर तुम्हारे नहीं गुज़रती है
--अज्ञात
Saturday, April 5, 2014
बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैं
बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैं
कुछ ख्वाब मेरे ऐन जवानी में मरे हैं
क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरे हैं
--अज्ञात
Wednesday, February 26, 2014
कुज सानू मरण दा शौक वी सी
कुज उंज वी राहवां औखियाँ सन
कुज गल्ल विच गम दा तौख वी सी
कुज शहर दे लोक वी ज़ालिम सन
कुज सानू मरण दा शौक वी सी
अज़ीम मुनीर नियाज़ी
Thursday, February 6, 2014
कोई हल है न कोई जवाब है
कोई हल है न कोई जवाब है
ये सवाल कैसा सवाल है
जिसे भूल जाने का हुक्म है
उसे भूल जाना मुहाल है
--अज्ञात
Wednesday, January 29, 2014
एक दिल है के रहता है तरफदार उसी का
जाते थे मेरे हक़ में सब ही फैसले मगर
मुनसिफ ने भी हर बार दिया साथ उसी का
एक वो है के यूँ तोड़ दिए रिश्ते सभी हमसे
एक दिल है के रहता है तरफदार उसी का
--अज्ञात
Thursday, January 16, 2014
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुःख झेले आजमाए कौन
आज फिर दिल है कुछ उदास उदास
देखिये आज याद आये कौन
जावेद अख्तर
Thursday, January 2, 2014
वो अपना भी नहीं पराया भी नहीं
वो अपना भी नहीं पराया भी नहीं
ये कैसी धूप है जिसका साया भी नहीं
किसी को चाहा ज़िन्दगी की तरह
उससे दूर भी रहे और भुलाया भी नहीं
--अज्ञात
Friday, November 29, 2013
मै तुझे मिल जो गया हूँ..
उसके दर पर जो गया हूँ,
बावला सा हो गया हूँ..
तू न समझेगी मुझे अब,
मै तुझे मिल जो गया हूँ...
.....रजनीश सचान
Tuesday, November 5, 2013
पढ़ने वाले भी लेकिन बच्चे नही है
हाँ किरदार कहानी के सच्चे नही है
पढ़ने वाले भी लेकिन बच्चे नही है
जिसके दामन पे लगे वही जानता है
दाग कैसे भी लगे, अच्छे नही है
--अमोल सरोज
Sunday, October 6, 2013
इश्क अब वो झूठ है, जो बहुत बोलता हूँ मैं
मैंने गम-ए-हयात में तुझको भुला दिया
हुस्न-ए-वफ़ा शायर बहुत बेवफा हूँ मैं
इश्क एक सच था तुझसे जो बोला नहीं कभी
इश्क अब वो झूठ है, जो बहुत बोलता हूँ मैं
--जौन इलिया