Sunday, April 12, 2009

कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्व़ाब आते हैं

कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्व़ाब आते हैं
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं

कयामत देखनी हो गर चले जाना उस महफिल में
सुना है उस महफिल में वो बेनकाब आते हैं

--अज्ञात

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