Sunday, March 23, 2014

अफवाह थी कि मुझे इश्क हुआ है

अफवाह थी कि मुझे इश्क हुआ है

लोगों ने पूछ पूछ कर आशिक बना दिया

--अज्ञात

तुम किसी और की

तुम किसी और की हो जाओ जानां

अमीर होने में मुझे अभी वक़्त लगेगा

--अज्ञात

Friday, March 21, 2014

तनहा तनहा मत सोचा कर..

तनहा तनहा मत सोचा कर..
मर जायेगा मर जायेगा.. मत सोचा कर..

प्यार घड़ी भर का ही बहुत है..
झूठा.. सच्चा.. मत सोचा कर...

जिसकी फ़ितरत ही डंसना हो..
वो तो डसेगा मत सोचा कर..

धूप में तनहा कर जाता
क्यूँ यह साया मत सोचा कर..

अपना आप गवाँ कर तूने,
पाया है क्या मत सोचा कर

राह कठिन और धूप कड़ी है
कौन आयेगा मत सोचा कर..

ख्वाब, हकीकत या अफसाना
क्या है दुनिया मत सोचा कर

मूँद ले आँखें और चले चल....
मंज़िल रास्ता.. मत सोचा कर

दुनिया के गम साथ हैं..तेरे
खुद को तनहा, मत सोचा कर

जीना, दूभर हो जायेगा
जानां, इतना मत सोचा कर

मान मेरे शहजाद वगरना
पछताएगा मत सोचा कर...


-फरहत शहजाद

Wednesday, March 5, 2014

कुछ रिश्ते ता उम्र अगर बेनाम रहे तो अच्छा है

कुछ रिश्ते ता उम्र अगर बेनाम रहे तो अच्छा है
आँखों आँखों में ही कुछ पैगाम रहे तो अच्छा है

सुना है मंज़िल मिलते ही उसकी चाहत मर जाती है
गर ये सच है तो फिर हम नाकाम रहें तो अच्छा है

जब मेरा हमदम ही मेरे दिल को न पहचान सका
फिर ऐसी दुनिया में हम गुमनाम रहे तो अच्छा है

--अज्ञात
(From हमनशीं album of shreya ghoshal)

Sunday, March 2, 2014

मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हूँ

कुछ इस तरह से वफ़ा की मिसाल देता हूँ
सवाल करता है कोई तो टाल देता हूँ

उसी से खाता हूँ अक्सर फरेब मंजिल का
मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हूँ

तसव्वुरात की दुनिया भी खूब दुनिया है
मैं उसके ज़हन को अपने ख्याल देता हूँ

वो कायनात की वुसअत बयान करता है
मैं एक शेर ग़ज़ल का उछाल देता हूँ

कहीं अज़ाब न बन जाये जिंदगी 'मंसूर'
उसे मैं रोज़ एक उलझन में डाल देता हूँ

--मंसूर उस्मानी