Saturday, May 31, 2014

बहुत थे हमारे भी कभी इस दुनिया में अपने

बहुत थे हमारे भी कभी इस दुनिया में अपने
काम पड़ा दो चार से और हम अकेले हो गए

--अज्ञात

यूं न झांको गरीब के दिल में

यूं न झांको गरीब के दिल में
हसरतें बेलिबास रहतीं हैं

--अज्ञात

तोड़ कर दिल मेरा तुम हाल पूछते हो

तोड़ कर दिल मेरा तुम हाल पूछते हो

बड़े नादाँ हो हुआ क्या बवाल पूछते हो

मनमोहन बाराकोटी

Thursday, May 29, 2014

वही रंजिशें रहीं वही हसरतें रहीं

वही रंजिशें रहीं वही हसरतें रहीं
न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई
बड़ी अजीब सी है ज़िन्दगी हमारी
न गुज़र सकी; न ख़त्म हुई

--अज्ञात

ज़ब्त कहता है कि ख़ामोशी में बसर हो जाए

ज़ब्त कहता है कि ख़ामोशी में बसर हो जाए
दर्द की ज़िद है कि दुनिया को खबर हो जाए

--अज्ञात