Friday, April 17, 2009

किस कदर ज़ुल्म ढाया करते हो

किस कदर ज़ुल्म ढाया करते हो
ये जो तुम भूल जाया करते हो

किस का अब हाथ रख कर सीने पर
दिल की धड़कन सुनाया करते हो

हम जहां चाय पीने जाते थे
क्या वहां अब भी जाया करते हो

कौन है अब के जिस के चेहरे पर
अपनी पलको का साया करते हो

क्यों मेरे दिल मे रख नहीं देते
किस लिये ग़म उठाया करते हो

फोन पर गीत जो सुनाते थे
अब वो किस को सुनाया करते हो

आखिरी खत में उसने लिखा था
तुम मुझे बहुत याद आया करते हो

--अज्ञात

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