Showing posts with label Parveen Shakir. Show all posts
Showing posts with label Parveen Shakir. Show all posts

Monday, January 7, 2013

हाय वो वक़्त, वो बातें, वो ज़माना दिल का

उसने अंदाज़-ए-करम, उन पे वो आना दिल का
हाय वो वक़्त, वो बातें, वो ज़माना दिल का

न सुना उसने तवज्जो से फ़साना दिल का
उम्र गुजरी पर दर्द न जाना दिल का

दिल लगी, दिल की लगी बन के मिटा देती है
रोग दुश्मन को भी या रब न लगाना दिल का

वो भी अपने न हुए, दिल भी गया हाथों से
ऐसे आने से तो बेहतर है, न आना दिल का

उनकी महफ़िल में परवीन उनके तबस्सुम की अदा
हम देखते रह गए हाथ से जाना दिल का

--परवीन शकीर

Similar post : http://yogi-collection.blogspot.in/2010/12/blog-post_8699.html

Thursday, November 24, 2011

मेरे चेहरे पर तेरा नाम न पढ़ ले कोई

काँप उठती हूँ मैं सोच कर तन्हाई में
मेरे चेहरे पर तेरा नाम न पढ़ ले कोई

--प्रवीण शाकिर

Thursday, April 8, 2010

अब भला छोड़ कर घर क्या करते

अब भला छोड़ कर घर क्या करते
शाम के वक्त सफर क्या करते

तेरी मसरूफियतें जानते थे
अपने आने की खबर क्या करते
(मसरूफियतें : Engagements)

जब सितारे ही नहीं मिल पाए
ले के हम शम्स-ओ-कमर क्या करते
(शम्स-ओ-कमर : Sun And The Moon)

वो मुसाफिर ही खुली धुप का था
साये फैला के शजर क्या करते
(शजर : Tree)

ख़ाक ही अव्वल-ओ-आखिर थी
कर के ज़र्रे को गौहर क्या करते
(ख़ाक : Dust;
अव्वल-ओ-आखिर : In The Beginning And The End;
ज़र्रे : Particles;
गौहर : Jewels)


राय पहले से ही बना ली तूने
दिल में अब हम तेरे घर क्या करते

इश्क ने सारे सलीके बख्शे
हुस्न से कसब-ए-हुनर क्या करते
(सलीके : Etiquettes; Kasb-E-Hunar : ?)

--परवीन शाकिर

Sunday, July 12, 2009

कहूँ कुछ उनसे मगर ये खयाल होता है
शिकायतों का नतीजा अक्सर मलाल होता है
--परवीन शाकिर

Friday, May 8, 2009

सहरा की तरह खुश्क थी आंखें

सहरा की तरह खुश्क थी आंखें
बारिश कहीं दिल में हो रही थी
--परवीन शाकिर