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Saturday, December 10, 2011

दिल है या के शीशा क्या है

दिल है या के शीशा क्या है
देखो तो ये टूटा क्या है

सारे तेरे दीवाने हैं
आखिर तुझ में ऐसा क्या है

बिन बोले सब कुछ कह देती
इन आँखों की भाषा क्या है

मैंने क्या समझाना चाहा
जाने तूने समझा क्या है

धीरे धीरे देखे जा तू
आगे आगे होता क्या है

विज्ञापन नंगी तसवीरें
अखबारों में छपता क्या है

किसको फुरसत है सुनने की
अपना दुखड़ा रोना क्या है

--अजय अज्ञात