Showing posts with label Manzar Bhopali. Show all posts
Showing posts with label Manzar Bhopali. Show all posts

Sunday, January 8, 2012

एक नया मोड़ देते हुए फिर फ़साना बदल दीजिये

एक नया मोड़ देते हुए फिर फ़साना बदल दीजिये
या तो खुद ही बदल जाइए या ज़माना बदल दीजिये

अहल-ए-हिम्मत ने हर दौर मैं कोह* काटे हैं तकदीर के
हर तरफ रास्ते बंद हैं, ये बहाना बदल दीजिये
[कोह=पहाड़]

--मंज़र भोपाली