कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बदल समझता है
तू मुझसे दूर कैसी है मैं तुझसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
प्यार एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं की मेरे आँखों में आंसू हैं
जो तू समझे तो मोती हैं, जो न समझे तो पानी है
समुन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है, मैं इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता
--डा कुमार विश्वास
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Sunday, May 20, 2012
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
Sunday, May 13, 2012
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता है
--डा कुमार विश्वास
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता है
--डा कुमार विश्वास
Thursday, April 29, 2010
दर्द से दो-दो हाथ कौन करे
बात करनी थी ,बात कौन करे
दर्द से दो-दो हाथ कौन करे.
हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं
चाँद ना हो तो रात कौन करे .
हम तुझे रब कहें या बुत समझें
इश्क में जात-पात कौन करे
जिंदगी भर कि कमाई तुम हो
इस से ज्यादा ज़कात कौन करे
--डा कुमार विश्वास
Friday, April 2, 2010
मैं उसका हूँ, वो इस एहसास से इनकार करता है
मैं उसका हूँ, वो इस एहसास से इनकार करता है
भरी महफ़िल में भी रुसवा, मुझे हर बार करता है
यकीन है सारी दुनिया को, खफा है मुझसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी, मुझी से प्यार करता है
--डा कुमार विश्वास
Saturday, December 12, 2009
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
--डा कुमार विश्वास
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ
--डा कुमार विश्वास
Wednesday, September 9, 2009
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश मे है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या
--डॉ कुमार विश्वास
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश मे है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या
--डॉ कुमार विश्वास
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