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Saturday, July 9, 2011

एक हम थे के बिक गये ख़ुद ही

कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची
हम ग़रीबों ने बेकसी बेची

चन्द सांसे खरीदने के लिये
रोज़ थोदी सी ज़िन्दगी बेची

जब रुलाने लगे मुझे साये
मैन ने उक़्ता के रौशनी बेची

एक हम थे के बिक गये ख़ुद ही
वरना दुनिया ने दोस्ती बेची

--अबू तालिब