Showing posts with label Sameeb Akbaraabadi. Show all posts
Showing posts with label Sameeb Akbaraabadi. Show all posts

Wednesday, November 9, 2011

तुम भी उस वक़्त याद आते हो

ना हो गर आशना नहीं होता
बुत किसी का ख़ुदा नहीं होता

तुम भी उस वक़्त याद आते हो
जब कोई आसरा नहीं होता

दिल में कितना सुकून होता है
जब कोई मुद्दवा नहीं होता

हो ना जब तक शिकार-ए-नाकामी
आदमी काम का नहीं होता

ज़िन्दगी थी शबाब तक "सीमाब"
अब कोई सानेहा नहीं होता

--सीमाब अकबराबादी

Source : http://www.urdupoetry.com/singers/JC284.html