Friday, December 28, 2012

Tere naam se pehle

वही ज़बान, वही बातें मगर है कितना फरक

तेरे नाम से पहले और तेरे नाम के बाद

--अज्ञात

Kaha dhoondte

Kahan dhoondte firte ho ishq ko tum ai bekhabar........

ye khud hi dhoond leta hai jise isko barbaad karna hota hai...

Unknown.....

Thursday, December 27, 2012

Chubh gaya aankh me..

चुभ गया आँख में किसी कांटे की तरह
जब भी किसी ख्वाब को पलकों पे सजाना चाहा

--अज्ञात

Thursday, December 20, 2012

किसी और की हथेली पे तेरा नाम लिखेगा

बदलते शहरों में मुकाम लिखेगा
बेटा बड़ा हो कर कोहराम लिखेगा

यकीन तुझे होगा जब आशिक तेरा
किसी और की हथेली पे तेरा नाम लिखेगा

--मानस भारद्वाज

Wednesday, December 5, 2012

तेरे प्यार से पहले की नींदें भी कमाल की थी

न दिल का रोग था, न यादें थी, और न ही ये हिजर
तेरे प्यार से पहले की नींदें भी कमाल की थी

-अज्ञात

तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से

न गरज़ किसी से, न वास्ता
मुझे काम अपने ही काम से
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से
तेरी याद से, तेरे नाम से

--अज्ञात

Tuesday, December 4, 2012

सिर्फ तुमको भूल नहीं पाए

चलने को रास्ता नहीं होता
तब भी कुछ बुरा नहीं होता

सिर्फ तुमको भूल नहीं पाए
करने से वर्ना क्या नहीं होता

अपना गम पुराना नहीं होता
भले ही कभी नया नहीं होता

मेरी शायरी सब झूठी है
किस्सा सच्चा बयां नहीं होता

जो तूने हाँ कर दी होती
मेरा तब भी भला नहीं होता

सोचता हूँ रस्सी कहाँ होती
अगर मेरा गला नहीं होता

यार उनका क्या होता है ?
जिनका कभी बुरा नहीं होता

सुना है दिल ऐसा होता है
जिसमे कुछ खुरदुरा नहीं होता

दुनिया शायद और बुरी होती
जो तेरा गम जुडा नहीं होता

पर फिर मेरा क्या होता
अगर रास्ता मुडा नहीं होता

अब मुझे अच्छा नहीं लगता
जब मेरे साथ बुरा नहीं होता

तुझमे मुझमे फर्क नहीं होता
जो बाप का पैसा नहीं होता

होने को तो सब हो सकता था
पर तब क्या ऐसा नहीं होता ?

सब तेरे जैसे होते हैं
पर कोई तेरे जैसा नहीं होता

"मानस" ये तो हद है तेरी
चाँद कहने से तेरा नहीं होता

मानस भारद्वाज

जब प्यार नही है,तो भुला क्यो नही देते..

जब प्यार नही है,तो भुला क्यो नही देते..
खत किस लिए रखे है, जला क्यो नही देते..

क्यो तुमने लिखा ,अपनी हथेली पे मेरा नाम..
मैं हर्फ़ ग़लत हू, तो मिटा क्यो नही देते..

किस वास्ते तडपते हो, मासूम मसीहा
हाथों से मुझे ज़हर , पिला क्यो नही देते..

गर तुमको मुहब्बत है तो, आ जाओ मेरे घर
दीवार ज़माने की, गिरा क्यो नही देते..

मेरी मुहब्बत पे अगर, शक है तुम्हे तो
ए मेरे हमराज़, निगाहों से गिरा क्यो नही देते..

--अज्ञात