दिल के दरिया मे उतर के तो देखो
तुम मोहब्बत मुझे कर के तो देखो
फिर तुम्हें मेरी तलब हो शायद
तुम कभी मुझ से बिछड़ के तो देखो
इश्क़ का सागर है बहुत गहरा
तुम डूब कर उभर के तो देखो
दुनिया फिर लगने लगी है दिलकश
उसे तुम मेरी नज़र से तो देखो
प्यार कहते हैं किसे, ज़रा तुम
मेरी बाहों में बिखर के तो देखो
मेरे ग़म महसूस करना हो तो
मेरी राहों से गुज़र के तो देखो
--अज्ञात
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