रोये हैं बहुत तब ज़रा करार मिला है
इस जहां में किसे भला सच्चा प्यार मिला है
गुज़र रही है ज़िन्दगी इम्तिहान के दौर से
एक ख्त्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है
मेरे दामन को खुशियों का नहीं मलाल
ग़म का खज़ाना जो इसको बेशुमार मिला है
वो कमनसीब हैं जिन्हें महबूब मिल गया
मैं खुशनसीब हूं मुझे इंतज़ार मिला है
ग़म नहीं मुझे के दुश्मन हुआ ये ज़माना
जब दोस्त हाथों में लिये तलवार मिला है
सब कुछ खुदा ने तुम को भला कैसे दे दिया
मुझे तो उसके दर से सिर्फ़ इनकार मिला है
--अज्ञात
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