Sunday, April 5, 2009

मुकम्मल गर मेरे प्यार का अफसाना हो जाता

मुकम्मल गर मेरे प्यार का अफसाना हो जाता
एक और आशिक से महरुम ये ज़माना हो जाता
--आलोक मेहता

No comments:

Post a Comment