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Saturday, October 8, 2011

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता

जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हम_ज़ुबाँ नहीं मिलता

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता

तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार ना हो
जहाँ उम्मीद हो इस की वहाँ नहीं मिलता

--शहरयार

Source : http://www.urdupoetry.com/shahryar10.html

Monday, November 15, 2010

सच कहे सुनके जिसको सारा जहाँ

सच कहे सुनके जिसको सारा जहाँ
झूठ बोले तो इस हुनर से कोई -
--शहरयार