Saturday, November 19, 2011

मैं ये कैसे मान जाऊं के वो दूर जा के रोये

मेरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोये
मेरे आज़माने वाले मुझे आज़मा के रोये

[दास्तान-ए-हसरत=tale of desire]

कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो के फ़साना-ए-मुहब्बत
मैं उसे सुना के रो~uuँ वो मुझे सुना के रोये

[अहल-ए-दिल=resident of the heart;; फ़साना=tale]

मेरी आरज़ू की दुनिया दिल-ए-नातवाँ की हसरत
जिसे खो के शादमाँ थे उसे आज पा के रोये

[नातवाँ=weak; शादमाँ=happy]

तेरी बेवफ़ाइयों पर तेरी कज_अदाइयों पर
कभी सर झुका के रोये कभी मूँह छुपा के रोये

[बेवफ़ाई=infidelity; कज-अदाई=crudity/lack of gentility]

जो सुनाई अन्जुमन में शब-ए-ग़म की आप_बीती
कई रो के मुस्कुराये कई मुस्कुरा के रोये

[अन्जुमन=gathering; आप-बीती=first hand experience]

--सैफुद्दीन सैफ

Source : http://www.urdupoetry.com/saif03.html

4 comments:

  1. Manna mushkil to nahi... aisa bhi hota h..sundar kavita

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  2. isse pehle ki koi ruth jae mana lo use warna "jindagi ke safar me gujar jate hain jo mukam wo fir nahin aate ".

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  3. Bhai ye Saifuddin Saif sahab ka hai.....:)

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  4. Thanks Vipul bhai !!!

    I found it on urdupoetry.com and located the source as well.

    Will be so kind, if you can post the source of the information as well.

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