Wednesday, November 23, 2011

ऐसी भी तो किसी से मोहब्बत कभी ना हो

क्या ये भी ज़िन्दगी है कि राहत कभी ना हो
ऐसी भी तो किसी से मोहब्बत कभी ना हो

[raahat=relief (from)]

वादा ज़रूर करते हैं आते नहीं कभी
फिर ये भी चाहते हैं शिकायत कभी ना हो

[shikaayat=complaint]

शाम-ए-विसाल भी ये तग़ाफ़ुल ये बेरुख़ी
तेरी रज़ा है मुझको मसर्रत कभी ना हो

[visaal=union/meeting; taGaaful=neglect; beruKhii=aloofness caused by anger]
[razaa=will/desire; masarrat=happiness]

अहबाब ने दिये हैं मुझे किस तरह फ़रेब
मुझसा भी कोई सादा तबीयत कभी ना हो

[ahabaab=friends (plural of habiib); fareb=deception]

लब तो ये कह रहे हैं के उठ, बढ़ के चूम ले
आँखों का ये इशारा के जुर्रत कभी ना हो

[jurr’at=daring]

दिल चाहता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
मुझको तो तेरे ख़याल से फ़ुर्सत कभी ना हो

--कृष्ण मोहन

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