Sunday, November 13, 2011

दिन रात माह-ओ-साल से आगे नहीं गये

दिन रात माह-ओ-साल से आगे नहीं गये,
हम तो तेरे ख्याल से आगे नहीं गये,

लोगों ने रोज़ ही नया मांगा खुदा से कुछ,
एक हम तेरे सवाल से आगे नहीं गये

सोचा था मेरे दुःख का मुदावा करेंगे कुछ
वो पुरसिश-ए-मलाल से आगे नहीं गए
[मुदावा=Cure]
पुरसिश=Inquiry, To Show Concern (About)

क्या जुल्म है की इश्क का दावा उन्हें भी है
जो हद-ए-एतदाल से आगे नहीं गए

- मोहतरमा शबनम शकील

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया ..

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  2. सुंदर जी बहुत ही सुंदर ...

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  3. हम हद्दे माहोसाल से आगे नहीं गए
    ख्वाबों में भी ख़याल से आगे नहीं गए
    थी तो जरुर मंजिलें इससे परे भी कुछ
    लेकिन तेरे ख़याल से आगे नहीं गए
    सोचा था मेरे दुःख का मदावा करेंगे कुछ
    वो पुर्शिशे मलाल से आगे नहीं गए
    क्या जुल्म है की इश्क का दावा उन्हें भी है
    जो हद्दे एतदाल से आगे नहीं गए

    - मोहतरमा शबनम शकील

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  4. Thanks Kuldeep ji, for letting us know the complete gazal and the poet's name.

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  5. What does पुरशिश-ए-मलाल means?

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