दिन रात माह-ओ-साल से आगे नहीं गये,
हम तो तेरे ख्याल से आगे नहीं गये,
लोगों ने रोज़ ही नया मांगा खुदा से कुछ,
एक हम तेरे सवाल से आगे नहीं गये
सोचा था मेरे दुःख का मुदावा करेंगे कुछ
वो पुरसिश-ए-मलाल से आगे नहीं गए
[मुदावा=Cure]
पुरसिश=Inquiry, To Show Concern (About)
क्या जुल्म है की इश्क का दावा उन्हें भी है
जो हद-ए-एतदाल से आगे नहीं गए
- मोहतरमा शबनम शकील
बहुत बढ़िया ..
ReplyDeleteसुंदर जी बहुत ही सुंदर ...
ReplyDeleteshayra mohtarama shabnam shakeel
ReplyDeleteहम हद्दे माहोसाल से आगे नहीं गए
ReplyDeleteख्वाबों में भी ख़याल से आगे नहीं गए
थी तो जरुर मंजिलें इससे परे भी कुछ
लेकिन तेरे ख़याल से आगे नहीं गए
सोचा था मेरे दुःख का मदावा करेंगे कुछ
वो पुर्शिशे मलाल से आगे नहीं गए
क्या जुल्म है की इश्क का दावा उन्हें भी है
जो हद्दे एतदाल से आगे नहीं गए
- मोहतरमा शबनम शकील
Thanks Kuldeep ji, for letting us know the complete gazal and the poet's name.
ReplyDeleteWhat does पुरशिश-ए-मलाल means?
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