Monday, November 7, 2011

फूल सा कुछ कलाम और सही

फूल सा कुछ कलाम और सही
एक गज़ल उसके नाम और सही

उसकी जुल्फें बहुत घनेरी हैं
एक शब का कयाम और सही
(कयाम=stay)

ज़िंदगी के उदास किस्से हैं
एक लड़की का नाम और सही

करसियों को सुनाइये गज़लें
क़त्ल की एक शाम और सही

कपकपाती है रात सीने में
ज़हर का एक जाम और सही

--बशीर बद्र

http://aligarians.com/2007/05/phuul-saa-kuch-kalaam-aur-sahii/

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