आग़ाज़ तो होता है अन्जाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
[aaGaaz = start; anjaam = end/result]
जब ज़ुल्फ़ की कालिख में घुल जाये कोई रही
बद_नाम सही लेकिन गुम_नाम नहीं होता
[kaalikh = blackness]
हँस हँस के जवाँ दिल के हम क्यों ना चुनें टुकड़े
हर शख़्स की क़िस्मत में इनाम नहीन होता
बहते हुए आँसू ने आँखों से कहा थम कर
जो मै से पिघल जाये वो जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबी बारात लिये कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता
--मीना कुमारी 'नाज़'
Source : http://www.urdupoetry.com/meena02.html
If you know, the author of any of the posts here which is posted as Anonymous.
Please let me know along with the source if possible.
Wednesday, November 9, 2011
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment