मेरी दास्तान-ए-हसरत वो सुना सुना के रोये
मेरे आज़माने वाले मुझे आज़मा के रोये
[दास्तान-ए-हसरत=tale of desire]
कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो के फ़साना-ए-मुहब्बत
मैं उसे सुना के रो~uuँ वो मुझे सुना के रोये
[अहल-ए-दिल=resident of the heart;; फ़साना=tale]
मेरी आरज़ू की दुनिया दिल-ए-नातवाँ की हसरत
जिसे खो के शादमाँ थे उसे आज पा के रोये
[नातवाँ=weak; शादमाँ=happy]
तेरी बेवफ़ाइयों पर तेरी कज_अदाइयों पर
कभी सर झुका के रोये कभी मूँह छुपा के रोये
[बेवफ़ाई=infidelity; कज-अदाई=crudity/lack of gentility]
जो सुनाई अन्जुमन में शब-ए-ग़म की आप_बीती
कई रो के मुस्कुराये कई मुस्कुरा के रोये
[अन्जुमन=gathering; आप-बीती=first hand experience]
--सैफुद्दीन सैफ
Source : http://www.urdupoetry.com/saif03.html
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Saturday, November 19, 2011
मैं ये कैसे मान जाऊं के वो दूर जा के रोये
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Manna mushkil to nahi... aisa bhi hota h..sundar kavita
ReplyDeleteisse pehle ki koi ruth jae mana lo use warna "jindagi ke safar me gujar jate hain jo mukam wo fir nahin aate ".
ReplyDeleteBhai ye Saifuddin Saif sahab ka hai.....:)
ReplyDeleteThanks Vipul bhai !!!
ReplyDeleteI found it on urdupoetry.com and located the source as well.
Will be so kind, if you can post the source of the information as well.