Saturday, July 18, 2009

तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी का ये आलम है के

तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी का ये आलम है के
सुबह के ग़म शाम को पुराने हो जाते है
--अज्ञात

No comments:

Post a Comment