सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा कहते हैं
ज़िन्दगी को भी सिला कहते हैं कहनेवाले
जीनेवाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं
फ़ासले उम्र के कुछ और बड़ा देती है
जाने क्यूँ लोग उसे फिर भी दवा कहते हैं
चंद मासूम से पत्तों का लहू है "फ़ाकिर"
जिसको महबूब के हाथों की हिना कहते हैं
--सुदर्शन फ़ाकिर
फाकिर साहब का जवाब नहीं। शुक्रिया।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }