Monday, July 6, 2009

वो भी शायद रो पड़े वीरान कागज़ देख कर

वो भी शायद रो पड़े वीरान कागज़ देख कर
मैं ने उन को आख़िरी ख़त में लिखा कुछ भी नहीं
--ज़हूर नज़र


Source : http://www.urdupoetry.com/znazar01.html

No comments:

Post a Comment