टूट जाने तलक गिरा मुझको
कैसी मिट्टी का हूं बता मुझको
मेरी खुश्बू भी मर ना जाये कहीं
मेरी जद से ना कर जुदा मुझको
घर मेरे हाथ बाँध देता है
वरना मैदान में देखना मुझको
अक़्ल कोई सज़ा है या इनाम
बड़ा सोचना पड़ा मुझको
हुस्न क्या चन्द रोज़ साथ रहा
आदतें अपनी दे गया मुझको
देख भगवे लिबास का जादू
सब समझते हैं पारसा मुझको
कोई मेरा मरज़ तो पहचाने
दर्द क्या और क्या दवा मुझको
मेरी ताकत ना जिस जगह पहुँची
उस जगह प्यार ले गया मुझको
ज़िन्दगी से नहीं निभा पाया
बस यही एक ग़म रहा मुझको
--हस्ती मल हस्ती
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