Sunday, July 26, 2009

मेहरबां कभी ना-आशनाओं जैसा है

मेहरबां कभी ना-आशनाओं जैसा है
मिजाज़ उसका भी अजीब धूप छांव जैसा है
मैं उसे किस दिल से बेवफा कह दूँ
वो बेवफा तो नहीं बेवफाओं जैसा है
--अज्ञात

1 comment:

  1. wallah ! kya khub kaha hai. 'bewafa nahi, bewafaon jaisa hai.' yeh pahchaan ki kash-m-kash hai, rahegi bhai...

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