मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
हर बात गवारा कर लोगे मन्नत भी उतारा कर लोगे
ताबीज़ें भी बँधवाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
तंहाई के झूले खूलेंगे हर बात पुरानी भुलेंगे
आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
जब सूरज भी खो जायेगा और चाँद कहीं सो जायेगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
बेचैनी बड़ जायेगी और याद किसी की आयेगी
तुम मेरी ग़ज़लें गाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा
--सईद राही
Source : http://www.urdupoetry.com/srahi08.html
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