Monday, May 25, 2009

मेरी आंखों की ज़ुबान कोई समझता कैसे

मेरी आंखों की ज़ुबान कोई समझता कैसे
ज़िन्दगी इतनी दुखी मेरे सिवा किसकी थी
--मुज़फ्फर वारसी

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