Sunday, May 24, 2009

दिल ने चाहा बहुत पर मिला कुछ नहीं

दिल ने चाहा बहुत पर मिला कुछ नहीं
ज़िन्दगी हसरतों के सिवा कुछ नहीं

उसने रुस्वा सर-ए-आम मुझको किया
उसके बारे में मैंने कहा कुछ नहीं

इश्क़ ने हमको सौगात में क्या दिया
ज़ख्म ऐसे कि जिनकी दवा कुछ नहीं

पढ़ के देखी किताबें मोहब्बत की सब
आंसुओं के अलावा लिखा कुछ नहीं

हर ख़ुशी मिल भी जाये तो क्या फ़ायदा
ग़म अगर ना मिले तो मज़ा कुछ नहीं

ज़िन्दगी ये बता, तुझसे कैसे मिलें
जीने वालों को तेरा पता कुछ नहीं

--देवमनी पांडे

1 comment:

  1. ज़िन्दगी ये बता, तुझसे कैसे मिलें
    जीने वालों को तेरा पता कुछ नहीं

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