Friday, May 22, 2009

मेरी खामोशियों में भी फ़साना ढूंढ लेती है

मेरी खामोशियों में भी फ़साना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है

हक़ीक़त ज़िद किये बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है

उठाती है जो ख़तरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समंदर में खज़ाना ढूंढ लेती है

ना चिड़िया की कमाई है ना कारोबार है कोई
वो केवल हौंसले से आबोदाना ढूंढ लेती है

जुनून मंज़िल का राहों में बचता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है

--राजेन्द्र तिवारी


Source : http://akshar.wordpress.com/2007/05/24/meri-khamoshiyon-mein-bhi-fasana-dhoondh-leti-hai/

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