साकिया इक नज़र जाम से पहले पहले
हम को जाना है कहीं शाम स पहले पहले
खुश हुआ ऐ दिल के मुहब्बत तो निभा दी तूने
लोग उजड़ जाते हैं अन्जाम से पहले पहले
अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं
कितनी रग़बत थी तेरे नाम से पहले पहले
सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की
वो मुझे छोड़ गया शाम से पहले पहले
--अहमद फराज़
रग़बत=Liking, Desire, Interest
Source : http://www.urdupoetry.com/faraz59.html
No comments:
Post a Comment