Friday, May 22, 2009

बीवी हो, बच्चे हो, प्यारा-सा घर भी हो


अमित अरुण साहू, 25 जून 1980 को जन्मे अमित के दुष्यंत कुमार प्रेरणास्रोत है व पंकज सुबीर ग़ज़ल-गुरु। एम. कॉम., एम. बी. ए. की पढ़ाई कर चुके अमित साहू बापू और विनोबा की कर्मभूमि वर्धा के बाशिंदे है। अकाउंट और अर्थशास्त्र के शिक्षक अमित ने हिन्द-युग्म पर ही सुबीर सर से गजल के प्रारंभिक पाठ पढ़े। इन्हें विशेष रूप से हरिवंश राय बच्चन, दुष्यंत कुमार, बशीर बद्र, निदा फाजली और प्रेमचंद को पढ़ना पसंद है।

आतंकवादियों के नाम

कभी किसी की बात का ऐसा असर भी हो
बदले ख़यालात और खुदा का डर भी हो

आतंकियों के दिल में जगे प्यार की अलख
बीवी हो, बच्चे हो, प्यारा-सा घर भी हो

खुदा के नाम पर लगा रखी है जेहाद
खुदा की पाकीजगी का जरा असर भी हो

निहत्थों और बेगुनाहों पे गोलियां चलाना
हिजड़ों की करामात है, उन्हें खबर भी हो

क्या सोचते हो के खुदा तुम्हें जन्नत देंगा
हैवान होकर सोचते हो के बशर भी हो

करते हो हमेशा ही 'गैर मुसलमाना' हरकत
फिर सोचते हो के दुआ में असर भी हो

मैं कहता हूँ, तुम मुस्लिम हो ही नहीं सकते
बिना धर्म के हो तुम, ये तुमको खबर भी हो

--अमित अरुण साहू


Source : http://kavita.hindyugm.com/2009/05/biwi-ho-bachche-hon-pyara-sa-ghar-bhi.html

2 comments:

  1. मान्यवर आपने बहुत ही अच्छी कह की गजल कही है

    मगर इतनी अच्छी गजल पढने में लय की कमी खल रही है क्योकी गजल बहर में नहीं है
    गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
    www.subeerin.blogspot.com

    इसे पाने के लिए आप इस पते पर क्लिक कर सकते हैं।
    आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये
    आपका वीनस केसरी

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  2. Venus ji shukriya..
    मैं एक दो बार गया हुँ सुबीर जी के ब्लाग पर

    मगर वहाँ पर इतनी सारी पोस्ट में से बहर की पोस्ट ढूँढना एक टेढी खीर है। इस लिये मैं भी बहर के बारे में ज़्यादा नहीं समझता

    अगर आप बहर की पोस्ट का लिंक दे सकें तो मज़ा आ जाये :)

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