Wednesday, March 11, 2009

rukhsat huaa to baat merii maan kar gaya

रुखसत हुआ तो बात मेरी मान कर गया
जो उसके पास था वो मुझे दान कर गया

बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गई
इक शक्स सारे शहर को वीरान कर गया

दिलचस्प वाक्या है के कल इक अज़ीज़ दोस्त
अपने मुफात पर मुझे कुरबान कर गया

कितनी सुधर गई है जुदाई में ज़िन्दगी
हा¡ वो ज़फा से मुझपे तो एहसान कर गया

खालिद मैं बात बात पे कहता था जिसको जान
वो शक्स आकारात मुझे बेजान कर गया

-- खालिद शरीफ

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