Saturday, March 21, 2009

खुद शाख-ए-गुल को टूटते देखा है आंख से

खुद शाख-ए-गुल को टूटते देखा है आंख से
किस दर्जा हौंसला अभी बूढ़े शजर में है
--मुनव्वर राणा

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