Friday, March 20, 2009

सूखी शाखों पर तो हमने लहू छिड़का था फ़राज़

सूखी शाखों पर तो हमने लहू छिड़का था फ़राज़
कलियां अब भी न खिलती तो कयामत होती
--अहमद फराज़

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