Saturday, March 14, 2009

मुख्तसर तो वैसे ही ना थी कैद-ए-हयात

मुख्तसर तो वैसे ही ना थी कैद-ए-हयात
और मियाद बढ़ा दी शब-ए-तनहाई ने
--अज्ञात

मुख्तसर=छोटी
हयात=ज़िन्दगी
शब=रात

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