वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था
खुदा जाने हर्फ-ए-दुआ लिख रहा था
लिखे थे जिसने वफा के मानी अधूरे
वो शक्स प्यार की इंतहां लिख रहा था
ज़रा उसकी आ¡ख से एक आ¡सू न निकला
वो जिस वक्त लव्ज-ए-सज़ा लिख रहा था
मोहब्बत में नफरत मिली थी उसे
वो हर एक शक्स को बेवफा लिख रहा था
इस कदर जमाने वालो ने सताया उसको
वो प्यार के जज़बे को गुनाह लिख रहा था
--अज्ञात
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