Friday, March 27, 2009

अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़

अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़
इक उम्र हो गयी उसकी याद क नशा करते करते
--अहमद फराज़

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