नदी का शोर नहीं है ये आब शार का है
यहाँ से जो भी सफ़र है वो अब उतार का है
तमाम जिस्म को आँखे बना के राह तको,
तमाम खेल मोहब्बत में इंतज़ार का है
अभी शराब न देना मज़ा न आयेगा ,
अभी तो आंखों में नशा किसी के प्यार का है...
--मुनव्वर राणा
आबशार = Waterfall
Source : http://www.hindimedia.in/index.php?option=com_content&task=view&id=5107&Itemid=34
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