रखे हैं खुदा ने दो रास्ते मुझे आज़माने के लिये
वो छोड़ दे मुझे, या मैं छोड़ दूं उसे ज़माने के लिये
के मांग लूँ उसे रब से उसे भूल जाने की दुआ
हाथ उठते नहीं दुआ में उसे भूल जाने के लिये
नहीं की मैने ज़माने में कोई भी नेकी
पर पढ़ी है चुप चाप कुछ नमाज़ें उसे पाने के लिये
नहीं है तो ना सही वो मेरी किस्मत में
पर एक मौका तो दे, उसे ये आंसू दिखाने के लिये
--अज्ञात
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