Sunday, November 29, 2009

तुम से उल्फ़त के तक़ाज़े ना निबाहे जाते

तुम से उल्फ़त के तक़ाज़े ना निबाहे जाते
वरना हम को भी तमन्ना थी के चाहे जाते
--शान उल हक़ हक़ी


Source : http://www.urdupoetry.com/haqi03.html

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